Shivaay Cold Storage
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भैया और बहिनी, अब तक ये हो रहा था कि किसान भाइयों के सामान खराब हो रहे थे. उन्हें वो कीमत नहीं मिल पा रही थी, जिसके वे हकदार थे. ट्रांसपोर्टेशन के कारण सब्जियां, फल, मछली और मीट खराब हो जाते थे, जिसके कारण किसान भाइयों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा था, मगर अब ऐसा नहीं होगा. इसका सॉल्यूशन आ गया है. फेकन भैया ने जानकारी प्राप्त कर ली है, अब आपको पूरी जानकारी देंगे.

इंदौर के राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआर-कैट) ने फल-सब्जियों और मछलियों सरीखे जल्द खराब हो जाने वाले खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखकर लम्बी दूरी तक इनके परिवहन के लिए एक प्रशीतक कंटेनर की पर्यावरण हितैषी तकनीक विकसित की है. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि ‘‘शिवाय’’ (What is Shivay Cold Storage Van) नाम के इस कंटेनर की खास बात यह है कि यह कंटेनर द्रव नाइट्रोजन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करता है जिससे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता.

अधिकारियों ने बताया कि परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रमुख संस्थान आरआर-कैट ने इस कंटेनर की तकनीक सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की एक निजी कम्पनी को हस्तांतरित की है. इंदौर की कम्पनी ने इस तकनीक को अमली जामा पहनाते हुए कंटेनर बनाया है.

केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद की मौजूदगी में आरआर-कैट में बुधवार देर शाम आयोजित कार्यक्रम के दौरान इस कंटेनर को इसके पहले ग्राहक को सौंपा गया.

आरआर-कैट के वैज्ञानिक प्रशांत खरे ने फेकन भैया को बताया, ‘‘द्रव नाइट्रोजन से चलने वाले इस कंटेनर में तापमान और नमी को अलग-अलग उत्पादों के मुताबिक नियंत्रित किया जा सकता है.’’

खरे ने बताया कि फल-सब्जियों और मछलियों को इस कंटेनर में रखकर 1,000 किलोमीटर की दूरी तक ताजा बनाए रखने में महज एक रुपये प्रति किलोग्राम का खर्च आता है. उन्होंने बताया कि कंटेनर की तकनीक बेहद किफायती लागत में विकसित की गई है जिसका पेटेंट भारत सरकार के पास है.

खरे ने यह भी बताया कि ‘इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग’ ने इस तकनीक को इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्वतंत्र भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों में शामिल किया है.

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पत्रकारिता के क्षेत्र में अब 10 साल हो गए हैं. Human और Humor बिट की स्टोरी से काफी लगाव है. दिल से Local हूं और सोच से Global. लिट्टी चोखा से काफी लगाव है. धनबाद का रहने वाला हूं, फिलहाल दिल्ली में रह रहा हूं.

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