बिलकुल, नीचे उसी घटनाक्रम पर आधारित एक नया और ओरिजिनल अंदाज़ में लिखा गया कंटेंट प्रस्तुत है, जो भावनात्मक, सूचनात्मक और प्रेरणादायक है — लेकिन किसी भी तरह से मौलिक स्रोत की हूबहू नकल नहीं है:
ऑपरेशन सिंदूर: अब चुप नहीं बैठेगा भारत
जब पूरी दुनिया नए युग में आगे बढ़ रही थी, भारत को अब भी सीमापार से फैलाए जा रहे आतंक से जूझना पड़ रहा था। एक के बाद एक ज़ख्म — संसद पर हमला, घाटी में निर्दोषों का कत्ल और फिर पहलगाम में धर्म पूछकर की गई क्रूरता — हर घटना ने भारत के सीने में गहरा घाव छोड़ा।
लेकिन इस बार कहानी कुछ और थी।
पहलगाम की घटना ने न सिर्फ भारत को, बल्कि वैश्विक स्तर पर शांति में विश्वास रखने वाले हर देश को झकझोर दिया। आतंकियों ने हथियार उठाए, लेकिन इस बार जवाब भारत की बेटियों ने दिया।
ब्रेकिंग द साइलेंस: एक वीडियो और एक स्पष्ट संदेश
दिल्ली में मीडिया के सामने तीन चेहरे — विदेश सचिव विक्रम मिसरी, कर्नल सोफिया कुरैशी, और विंग कमांडर व्योमिका — किसी भी परंपरागत ब्रीफिंग से अलग माहौल बना रहे थे।
अभी प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू ही होने वाली थी कि पीछे स्क्रीन पर एक शॉर्ट फिल्म चलने लगी — सिर्फ 1.40 मिनट की, लेकिन हर सेकंड में भावनाओं का तूफान था।
शुरुआत होती है एक सटीक लाइन से:
“While the world embraced a new century, India continued to battle the shadows of cross-border terrorism.”
- इसके बाद आतंक की एक-एक परत खुलती है —
- 2001 का संसद हमला,
- कश्मीर के बाजारों में विस्फोट,
- और हाल ही में पहलगाम की दरिंदगी।
हर दृश्य के साथ दर्शकों की आंखें नम और मुट्ठियां भिंच जाती हैं।
आखिरी स्क्रीन पर सिर्फ दो शब्द चमकते हैं – “NO MORE”
और यहीं से शुरू होता है — “ऑपरेशन सिंदूर”।
अब बदले की बारी थी
भारत ने इंतज़ार नहीं किया। पाकिस्तान और पीओके के अंदर घुसकर चुने गए 9 आतंकी अड्डे — 100 किलोमीटर अंदर तक। सिर्फ सैन्य ताकत नहीं, बल्कि कूटनीतिक ठोस प्लानिंग के साथ।
विदेश सचिव मिसरी ने स्पष्ट शब्दों में कहा: “भारत ने अपने आत्मरक्षा के अधिकार का इस्तेमाल किया है।” यह कोई जवाब नहीं था — यह एक संदेश था।
दो बेटियां, एक संदेश
ब्रीफिंग में कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका की मौजूदगी अपने आप में जवाब थी।
यह वही देश है जहां आतंक ने कई सिंदूर उजाड़े — और अब वही बेटियां दुश्मन को जवाब देने खड़ी थीं।
सूत्रों की मानें तो ऑपरेशन का नाम “सिंदूर” प्रधानमंत्री की ओर से सुझाया गया था — एक ऐसा नाम, जो हर शहीद की पत्नी की आंखों में बहते दर्द को ताकत में बदल दे।
भारत की नई नीति साफ है
ना बर्दाश्त करेंगे, ना चुप बैठेंगे।