महाकुंभ 2025, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में आयोजित हो रहा है, श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व भीड़ के लिए चर्चा का केंद्र बना हुआ है. पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करने के लिए देश-विदेश से करोड़ों की संख्या में भक्तजन यहां एकत्रित हो रहे हैं.
प्रारंभिक दिनों की भीड़:
महाकुंभ के पहले दिन, 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के अवसर पर, लगभग 60 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. इसके बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति के प्रथम शाही स्नान पर यह संख्या बढ़कर 3.5 करोड़ तक पहुंच गई. प्रशासन के अनुसार, 23 जनवरी तक कुल मिलाकर 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल हो चुके थे. 
मौनी अमावस्या पर भीड़ और भगदड़:
29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दूसरे शाही स्नान के दौरान, संगम तट पर अनुमानित 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही. भीड़ के अत्यधिक दबाव के कारण बैरिकेड्स टूट गए, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई. इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 30 लोगों की मृत्यु हुई और 60 से अधिक घायल हो गए. 
प्रशासनिक चुनौतियाँ और प्रबंधन:
इतनी विशाल भीड़ के प्रबंधन के लिए प्रशासन ने कई उपाय किए हैं, जैसे घाटों की लंबाई बढ़ाना, अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती, और ड्रोन व सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी. डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि भीड़ प्रबंधन के लिए घाटों की लंबाई बढ़ाई गई है ताकि ओवरक्राउडिंग की स्थिति न बने. 
श्रद्धालुओं के अनुभव:
हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति के कारण कई श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. ट्रैफिक जाम, परिवहन की कमी, और आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता में कमी जैसी समस्याएं सामने आईं. एक श्रद्धालु ने बताया, “सरकार ने यहां काफी इंतजाम किए हैं, लेकिन भीड़ इतनी अधिक है कि व्यवस्था संभालना मुश्किल हो रहा है.” 
आगे की चुनौतियाँ:
महाकुंभ 2025 के दौरान आने वाले दिनों में भी प्रमुख स्नान पर्व हैं, जैसे 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि. इन अवसरों पर भी भारी भीड़ की उम्मीद है, जिसके लिए प्रशासन को और अधिक सतर्कता और संसाधनों की आवश्यकता होगी.
निष्कर्ष:
महाकुंभ 2025 में उमड़ी अभूतपूर्व भीड़ ने प्रशासन और श्रद्धालुओं दोनों के लिए कई चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं. जहां एक ओर प्रशासन भीड़ प्रबंधन के लिए विभिन्न उपाय कर रहा है, वहीं श्रद्धालुओं से भी अपील की जा रही है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और संयम बनाए रखें, ताकि सभी के लिए यह आध्यात्मिक अनुभव सुरक्षित और सुखद हो सके.