कई लोग मेहनत से काम करते हैं, कुछ किस्मत से आगे बढ़ते हैं, लेकिन कुछ महापुरुष ऐसे होते हैं जो “चाटकर” इतिहास रचते हैं। जी हाँ, चाटने वाले—वो महान आत्माएँ जो जुबान से नहीं, ब्रश से महिमा मंडन करती हैं। इनके पास हर समस्या का एक ही समाधान होता है: “सर, आप तो ग़ज़ब हैं!”
इनकी प्रजाति हर दफ्तर, हर मोहल्ले और हर मंच पर पाई जाती है। इनका काम है चाटना—कभी कुर्सी, कभी जूता, तो कभी सीधा आत्मा तक। और मज़े की बात यह है कि ये काम इन्होंने इतनी खूबी से सीख लिया है कि किसी गूगल सर्च में भी इनकी गहराई नहीं मिलेगी।
चाटने की शुरुआत: बचपन से ही प्रतिभाशाली
चाटने वाले की ट्रेनिंग बचपन से शुरू होती है। जब बाकी बच्चे होमवर्क ना करने पर डांट खाते हैं, ये वही बच्चे होते हैं जो कहते हैं:
“मैडम, आपने आज बहुत सुंदर साड़ी पहनी है।”
फिर मैडम मुस्कुरा के होमवर्क भूल जाती हैं और ये बालक अंकों की सीढ़ी चढ़ता चला जाता है। धीरे-धीरे जब ये स्कूल से कॉलेज और फिर ऑफिस पहुँचता है, तो इसके चाटने की कला भी कुशलता के चरम पर पहुँच जाती है।
ऑफिस में चाटूकार
ऑफिस का चाटने वाला कर्मचारी किसी रहस्यमयी जीव से कम नहीं होता। सुबह दफ्तर में घुसते ही सबसे पहले बॉस के चेंबर में पहुँचता है।
“सर, आप तो सुबह-सुबह भी मिशन चंद्रयान जैसे लगते हैं, पूरी तरह चमकदार और ऊर्जावान।”
बॉस का मूड बन जाता है और चाय-कॉफी की फरमाइश हो जाती है। अब बॉस की हर बात पर “जी सर”, “आप सही कह रहे हैं सर”, “आप जैसा सोचता है, वैसा कोई नहीं सोच सकता सर” — ऐसे वाक्य चाटूकार के मुंह से तुरंत निकलते हैं, बिना ऑटो-स्पेलचेक के।
बाकी कर्मचारी रिपोर्ट बना रहे होते हैं, और ये जनाब बॉस की कुर्सी की फोम तक को महान बता रहे होते हैं।
नेताओं के आस-पास चाटने वाले
राजनीति तो जैसे चाटूकारों का Disneyland है। एक नेता के इर्द-गिर्द चाटने वालों की पूरी बारात रहती है। कोई बोलता है, “नेता जी के विचार गीता से भी ऊपर हैं,” तो कोई कहता है, “आपके चरणों की धूल से हमारा भविष्य चमकता है।”
नेता जी मुस्कुराते हैं, और ये लोग अगला चुनाव भी टिकट के सपने देखने लगते हैं। ये वही लोग हैं जो अगर नेता जी छींक दें तो कहेंगे, “वाह! क्या शानदार छींका है! एलर्जी भी राष्ट्रवादी हो गई है।”
बॉलीवुड और चाटने वाले
बॉलीवुड में चाटने वालों का एक अलग ही ब्रांड होता है। जब कोई सुपरस्टार डायलॉग भूल जाए, तो ये कहते हैं, “सर, आपने इतना नैचुरल एक्सप्रेशन दिया कि शब्दों की ज़रूरत ही नहीं थी।”
अगर सुपरस्टार एक्टिंग करते हुए ज़मीन पर गिर जाए, तो ये चिल्लाते हैं,
“वाह सर! आप तो ग्रेविटी को भी एक्टिंग सिखा रहे हैं।”
चाटूकारों की पहचान के आसान उपाय
- जो किसी के भी जोक्स पर हँसे—even अगर जोक में कोई हँसी नहीं हो।
- जो हर मीटिंग में बोले: “सर, जैसा आपने कहा वही ठीक है।”
- जो सामनेवाले की मूँछ को भी आर्ट बता दे।
- जो बिना बात के तारीफों की बारात ले आए।
इनसे बचना आसान नहीं है। अगर आप ईमानदारी से काम कर रहे हैं, तो चाटूकार आपको देखकर मुस्कुराएगा, और पीठ पीछे कहेगा,
“ये तो ज़रूरत से ज़्यादा ईमानदार है, फिट नहीं बैठेगा सिस्टम में।”
चाटने वालों की सफलता की कहानी
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इनका फायदा क्या होता है? अरे जनाब! यही तो असली मज़ा है। जहाँ मेहनती लोग रात-दिन लगकर एक प्रमोशन के लिए मरते हैं, चाटने वाला एक हल्की-सी “सर-सर” की मीठी धुन पर सीधा मैनेजर बन जाता है।
इनके लिए ज्ञान जरूरी नहीं, भावना जरूरी है—बॉस की भावना, नेता की भावना, या फिर चायवाले की भावना।
जब चाटूकार अकेला होता है
वैसे चाटने वाला जब अकेला होता है तो उसे खुद पर गर्व होता है। वो शीशे में देखता है और कहता है,
“तेरी जुबान नहीं, जादू है। तू सीढ़ियाँ नहीं चढ़ता, सीधा लिफ्ट से जाता है।”
उसका आत्मविश्वास Google रिव्यूज से भी ज़्यादा फेक लेकिन चमकदार होता है।
समापन: चाटूकार को प्रणाम
चाटने वाले लोग समाज के लिए वैसे ही जरूरी हो चुके हैं जैसे फोन में फालतू ऐप्स। काम भले न करें, लेकिन बिना उनके सिस्टम अधूरा लगता है।
तो अगली बार अगर कोई बोले—
“सर, आपने तो दिल जीत लिया,”
तो समझ जाइए, या तो प्रमोशन का मौसम है,
या फिर कोई चाटूकार महाशय अपना हुनर दिखा रहे हैं।
जय हो चाटूकार महाशय की।
आपका ब्रश, आपकी जुबान और आपकी टाइमिंग अमर रहे।