भारतीय लोक साहित्य और संगीत की धरोहर में जोगीरा एक अनूठी परंपरा है. यह मुख्य रूप से उत्तर भारत, विशेषकर बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में प्रचलित एक लोकगीत विधा है, जो हास्य, व्यंग्य और हर्षोल्लास से भरी होती है. जोगीरा होली के अवसर पर गाया जाने वाला एक विशिष्ट लोकगीत है, जिसमें समाज की विडंबनाओं, राजनीतिक स्थितियों, प्रेम, व्यंग्य और हास्य को रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया जाता है.

जोगीरा का अर्थ और परिभाषा
“जोगीरा” शब्द की उत्पत्ति “जोगी” से मानी जाती है, जिसका तात्पर्य एक ऐसे व्यक्ति से है जो भौतिक संसार से विरक्त होता है. हालांकि, होली के अवसर पर गाया जाने वाला जोगीरा विरक्ति से अधिक आनंद और मस्ती से भरा होता है. यह गीतों के माध्यम से हास्य-व्यंग्य और सामाजिक संदेश देने का एक सशक्त माध्यम बन जाता है.
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क्या होता है जोगीरा?
होली के समय गाए जाने वाले इन गीतों को अक्सर “जोगीरा सररर…” कहकर शुरू किया जाता है, जिससे पूरे माहौल में उमंग और उल्लास भर जाता है. ये गीत लोक संस्कृति की मौखिक परंपरा का हिस्सा होते हैं, जिनमें समाज की छोटी-बड़ी विसंगतियों को हंसी-मजाक के अंदाज में उजागर किया जाता है.
जोगीरा की विशेषताएँ
- हास्य और व्यंग्य से भरपूर – जोगीरा में हास्य और व्यंग्य प्रमुख तत्व होते हैं. इसमें सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर चुटीले तंज होते हैं.
- स्वरचित और तात्कालिक – अधिकतर जोगीरा तात्कालिक रूप से रचे जाते हैं, यानी जो माहौल होता है, उसी के अनुसार गाने वाले लोग तुरंत नए जोगीरा तैयार कर लेते हैं.
- ताल और लयबद्धता – इसे खास लय और ताल के साथ गाया जाता है, जिससे यह अधिक आकर्षक और मनोरंजक बन जाता है.
- गंवई भाषा का प्रयोग – जोगीरा में आम बोलचाल की भाषा होती है, जो सरल और प्रभावशाली होती है. भोजपुरी, मगही, मैथिली और अवधी भाषाओं में इसे अधिक गाया जाता है.
- सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा – यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि लोक जीवन की झलक भी प्रस्तुत करता है.
जोगीरा के प्रकार
जोगीरा कई प्रकार के हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित प्रकार शामिल हैं:
- राजनीतिक जोगीरा – नेताओं और सरकारी नीतियों पर व्यंग्य करते हुए बनाए जाते हैं.
- सामाजिक जोगीरा – समाज में फैली कुरीतियों, दहेज प्रथा, भ्रष्टाचार आदि पर कटाक्ष करते हैं.
- प्रेम संबंधी जोगीरा – प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी आदि के बीच रोचक संवाद होते हैं.
- व्यक्तिगत मजाक वाले जोगीरा – इसमें दोस्तों और परिचितों पर हंसी-मजाक किया जाता है.
जोगीरा के उदाहरण
जोगीरा सरररर…
गाँव के गबरू जवान, होली में ऐसे रंगे,
माई बोले कौन बबुआ, बाप बोले कौन पांड़े.
जोगीरा सरररर…
व्याख्या:
इस जोगीरा में हास्य का पुट है, जिसमें कहा गया है कि होली के रंगों में लड़के इस तरह रंग जाते हैं कि उन्हें उनके माता-पिता भी पहचान नहीं पाते.
(2) सामाजिक जोगीरा
जोगीरा सरररर…
दहेज बिना ना बियाह होई, कहे बाबू के बेटवा,
बबुआ के ना होई, कहे छोरी के पितवा.
जोगीरा सरररर…
व्याख्या:
इसमें दहेज प्रथा पर व्यंग्य किया गया है, जहां लड़के और लड़की दोनों के माता-पिता दहेज के बिना शादी न करने की जिद पर अड़े हैं.
(3) राजनीतिक जोगीरा
जोगीरा सरररर…
सांसद जी के वादा देखो, बिजली देंगे गाँव में,
पाँच बरिस बीत गइल, अभी तक हम अंधियारे में.
जोगीरा सरररर…
व्याख्या:
इस जोगीरा में नेताओं की झूठी वादाखिलाफी पर कटाक्ष किया गया है, जो चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन कार्यकाल पूरा होने के बाद भी कुछ नहीं करते.
(4) प्रेम से संबंधित जोगीरा
जोगीरा सरररर…
सजनी कहे पिया से, रंग ना डालो मोपे,
पिया कहे होली में, कइसे मानूँ रोके.
जोगीरा सरररर…
व्याख्या:
इसमें प्रेमी-प्रेमिका के बीच होली के अवसर पर प्रेम और रंगों की छेड़छाड़ का वर्णन है.
जोगीरा का सांस्कृतिक महत्व
जोगीरा सिर्फ एक हास्य-व्यंग्य गीत ही नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न अंग भी है. यह लोक परंपरा की विरासत है, जो समाज को न केवल हंसाने का काम करती है, बल्कि उसमें व्याप्त बुराइयों को भी उजागर करती है.
जोगीरा क्यों जरूरी है
जोगीरा भारतीय लोकगीतों की एक समृद्ध विधा है, जो अपने चुटीलेपन, हास्य-व्यंग्य और सामाजिक संदेशों के कारण अनूठी बनती है. यह न केवल होली के उल्लास को बढ़ाता है, बल्कि समाज को आईना दिखाने का भी कार्य करता है. ऐसे में, जोगीरा को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है ताकि यह परंपरा भविष्य की पीढ़ियों तक जीवित रहे.