चीन और भारत के रिश्ते जटिल और बदलते हुए रहे हैं, जिनमें कई पहलू शामिल हैं—राजनीतिक, आर्थिक, और सैन्य. इन दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संघर्षों और सहयोगों का मिश्रण है. आइए, इन रिश्तों के कुछ प्रमुख पहलुओं पर नजर डालते हैं:
1. सीमावाद:
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद सबसे प्रमुख मुद्दा है. 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद जारी है. विशेषकर, अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन क्षेत्र पर दोनों देशों के बीच मतभेद हैं. इस सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के बीच कई बार तनाव बढ़ चुका है, जैसे 2020 में गलवां घाटी में हुआ हिंसक संघर्ष.
2. आर्थिक संबंध:
भारत और चीन के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हैं. चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. भारत से चीन को बहुत सारे उत्पाद निर्यात होते हैं, जैसे कपड़े, रत्न, धातुएं आदि, जबकि चीन से भारत आयात करता है, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, और विभिन्न उपभोक्ता वस्तुएं. हालांकि, व्यापार में असंतुलन है, जहां चीन का भारत के प्रति व्यापारिक घाटा बढ़ रहा है.
3. राजनीतिक सहयोग और प्रतिस्पर्धा:
भारत और चीन वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं. दोनों देश BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे मंचों पर साथ काम करते हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भी वे प्रतिस्पर्धी हैं. विशेषकर, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उनकी रणनीतिक प्राथमिकताएं अलग हैं.
4. सीमा पर तनाव:
सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच लगातार तनाव बना रहता है, खासकर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में. हालांकि, दोनों देशों ने कई बार सैन्य वार्ताओं और आपसी समझौतों के माध्यम से शांति बनाए रखने की कोशिश की है, लेकिन तनाव की स्थिति कभी-कभी फिर से उत्पन्न हो जाती है.
5. संयुक्त राष्ट्र में भूमिका:
चीन और भारत दोनों संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बनने की इच्छा रखते हैं. यह भारत और चीन के बीच एक प्रमुख प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र है, क्योंकि चीन ने हमेशा भारत के इस कदम का विरोध किया है.
6. कनेक्टिविटी और सहयोग:
आर्थिक संबंधों के अलावा, दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की कोशिश की है. चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और भारत का “एक्ट ईस्ट नीति” दोनों देशों के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं, लेकिन इन परियोजनाओं को लेकर भी विवाद हैं, विशेषकर पाकिस्तान के साथ चीन की बढ़ती कनेक्टिविटी को लेकर भारत का विरोध है.
कुल मिलाकर, चीन और भारत के रिश्ते मिश्रित रहे हैं—जहां एक ओर आर्थिक सहयोग है, वहीं सीमा विवाद और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण कई बार तनाव भी उत्पन्न होता है. इन दोनों देशों के लिए भविष्य में रिश्तों को स्थिर और सहयोगपूर्ण बनाए रखना एक बड़ा चैलेंज होगा.