आज के डिजिटल युग में जब मनोरंजन के साधन वैश्विक होते जा रहे हैं, तब भी अपनी मिट्टी की महक, अपनी भाषा का अपनापन कुछ अलग ही सुकून देता है। इसी भावना को साकार कर रहा है — “स्टेज (STAGE) ओटीटी प्लेटफॉर्म”।स्टेज ना सिर्फ एक ओटीटी एप्लिकेशन है, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन है, जो स्थानीय भाषाओं और मूल संस्कृति को वैश्विक मंच दे रहा है।
भोजपुरी भाषा के प्रति स्टेज का योगदान एक नये सूर्योदय के समान है।
आइये विस्तार से जानें कि स्टेज कैसे भोजपुरी में अपनी अमिट छाप छोड़ रहा है।
1. भोजपुरी भाषा के महत्व को समझना
भोजपुरी, भारत की एक प्राचीन, समृद्ध और जीवंत भाषा है।
यह सिर्फ एक बोली नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की भावना, संस्कार और सांस्कृतिक पहचान है।
भारत के पूर्वी क्षेत्र, खासकर बिहार, पूर्वांचल (उत्तर प्रदेश का पूर्वी भाग) और झारखंड में भोजपुरी न केवल संवाद का माध्यम है, बल्कि वहां की आत्मा है।
आज पूरी दुनिया में करोड़ों लोग भोजपुरी बोलते हैं, चाहे वो भारत में हों या मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम जैसे देशों में।
लेकिन लंबे समय तक भोजपुरी को ‘गाँव की भाषा’ कहकर नजरअंदाज किया गया।
मुख्यधारा के मीडिया और बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भोजपुरी को वह सम्मान नहीं मिला, जिसकी वह हकदार थी।
इसी कमी को पहचानते हुए स्टेज ने एक बीड़ा उठाया।
2. स्टेज — एक मिशन, एक आंदोलन
स्टेज ओटीटी की सोच साधारण ओटीटी प्लेटफॉर्मों से अलग है।
जब दूसरी कंपनियाँ मुख्य रूप से अंग्रेजी, हिंदी या अंतरराष्ट्रीय कंटेंट पर ध्यान देती रहीं, स्टेज ने तय किया —
“लोकल भाषा ही ग्लोबल पहचान बनेगी।”
स्टेज का उद्देश्य है —
- स्थानीय भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण कंटेंट बनाना।
- स्थानीय कलाकारों को मंच देना।
- लोक संस्कृति को डिजिटल दुनिया में जीवंत रखना।
भोजपुरी को स्टेज ने एक सम्मानित मंच दिया, जहाँ ना सिर्फ मनोरंजन होता है, बल्कि अपनी संस्कृति के रंग भी बरकरार रहते हैं।
3. भोजपुरी में स्टेज का योगदान
स्टेज पर भोजपुरी कंटेंट सिर्फ मात्रा में नहीं, बल्कि गुणवत्ता में भी बेहद खास है।
स्टेज ने भोजपुरी को एक नई पहचान दी —
“सिर्फ मजाक या गानों की भाषा नहीं, बल्कि गहरी भावनाओं, गंभीर मुद्दों और उच्च दर्जे के मनोरंजन की भाषा।”
कुछ खास योगदान:
- भोजपुरी वेब सीरीज़ और शोज़:
स्टेज ने भोजपुरी में सामाजिक मुद्दों, प्रेम कहानियों, संघर्ष, इतिहास और ग्रामीण जीवन से जुड़े कई वेब शो बनाए हैं, जो आज तक मुख्यधारा के प्लेटफॉर्म्स पर नहीं दिखाए जाते थे। - भोजपुरी कॉमेडी और स्टैंड-अप:
स्थानीय हास्य कलाकारों को मौका देकर, भोजपुरिया हँसी को डिजिटल दुनिया में फैलाया गया है। - भोजपुरी थिएटर का डिजिटलीकरण:
लोकनाट्य और पारंपरिक मंचन, जो गाँवों तक सीमित था, अब स्टेज पर पूरी दुनिया देख रही है। - नई प्रतिभाओं का उदय:
स्टेज ने गली-कस्बे के छुपे हुए कलाकारों को नयी उड़ान दी।
बिना बड़े प्रोडक्शन हाउस के दबाव के, भोजपुरी कलाकार अब सीधे दर्शकों से जुड़ पा रहे हैं। - भोजपुरी में ज्ञानवर्धक कंटेंट:
फोकट कथा, ऐतिहासिक कहानियाँ, लोक संस्कृति पर डॉक्युमेंट्रीज़ — ये सब स्टेज ने भोजपुरी में प्रस्तुत किया है।
4. भोजपुरी के प्रति स्टेज का नजरिया
स्टेज भोजपुरी को केवल ‘मनोरंजन’ का माध्यम नहीं मानता, बल्कि उसे एक संस्कृति की आत्मा के रूप में देखता है।
स्टेज का मानना है कि —
“भाषा कोई बाधा नहीं होती, भाषा से ही तो पहचान बनती है।”
भोजपुरी बोलने वाला कोई भी व्यक्ति, जब अपनी भाषा में उत्कृष्ट कंटेंट देखता है, तो उसमें आत्मसम्मान बढ़ता है।
यह सिर्फ मनोरंजन नहीं, यह संस्कृति का संरक्षण है।
5. डिजिटल दुनिया में भोजपुरी का स्वाभिमान
आज जब स्टेज के जरिए भोजपुरी दुनिया भर के मोबाइल स्क्रीन पर पहुँच रही है, तब एक नया भरोसा बन रहा है —
- कि अपनी भाषा में बोलने में कोई शर्म नहीं।
- कि भोजपुरी सिर्फ गाँवों तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक बन सकती है।
- कि भोजपुरी कलाकारों का भी भविष्य डिजिटल मंचों पर चमक सकता है।
स्टेज ने यह दिखा दिया कि अगर सही दृष्टिकोण हो, तो ‘लोकल’ भी ‘ग्लोबल’ बन सकता है —
“Local at heart, Global at thought”।
6. भविष्य की दिशा
स्टेज लगातार भोजपुरी में और अधिक नवाचार लाने की योजना बना रहा है।
- बड़े स्तर पर भोजपुरी ऑरिजिनल फिल्में।
- नई वेब सीरीज़ और डॉक्युमेंट्री प्रोजेक्ट्स।
- ग्रामीण प्रतिभाओं के लिए रियलिटी शो।
- लोक गीतों और कहानियों का आर्काइव बनाना।
स्टेज भोजपुरी को उसी ऊंचाई तक पहुँचाना चाहता है, जैसी ऊंचाई पर दुनिया की दूसरी क्षेत्रीय भाषाएँ आज हैं।
निष्कर्ष
भोजपुरी केवल एक बोली नहीं, यह जज्बा है।
यह संघर्ष, मेहनत और संस्कृति की वो खुशबू है जो जहाँ भी जाती है, अपनी पहचान छोड़ देती है।
स्टेज ने भोजपुरी को नये सम्मान के साथ डिजिटल युग में प्रवेश कराया है।
आज जब एक भोजपुरीभाषी अपने मोबाइल पर अपने गाँव, अपनी कहानियों, अपने गीतों को स्टेज पर देखता है, तो उसके मन में एक नई ऊर्जा भर जाती है —
कि हम भी डिजिटल भारत का गर्वीला हिस्सा हैं।
स्टेज ने साबित कर दिया है —
“बोली चाहे जैसी हो, सपने ऊँचे होना चाहिए।”
“एक्सेंट नहीं, विजन देखो!”
भविष्य में भी स्टेज भोजपुरी के लिए और ऊँचे पंख फैलाएगा, और हम सब गर्व से कहेंगे —
“हमर भाषा, हमर शान — भोजपुरी जिन्दाबाद!”