भोजपुरी भाषा और इसका संगीत भारतीय लोकसंस्कृति (Bhojpuri Language is Important) का अहम हिस्सा रहा है. इसकी जड़ें बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, और नेपाल के कुछ हिस्सों तक फैली हैं. पारंपरिक भोजपुरी संगीत में विरह, प्रेम, भक्ति और सामाजिक मुद्दों की गहरी झलक देखने को मिलती थी. लेकिन पिछले कुछ दशकों में, खासकर 2000 के बाद, भोजपुरी संगीत में तेजी से अश्लीलता का समावेश हुआ है. आज भोजपुरी फिल्म और संगीत उद्योग का एक बड़ा हिस्सा ऐसे गीतों से भरा हुआ है जो द्विअर्थी, अश्लील और समाज को गलत दिशा में प्रभावित करने वाले होते हैं. यह लेख इसी मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करेगा कि आखिर भोजपुरी गानों में अश्लीलता क्यों बढ़ रही है, इसके प्रभाव क्या हैं और इससे निपटने के लिए क्या किया जा सकता है.
भोजपुरी संगीत का स्वर्णिम अतीत
भोजपुरी लोकगीतों की एक समृद्ध परंपरा रही है, जिसमें सोहर, चैता, कजरी, बिरहा, झूमर, भक्ति और निर्गुण गीत प्रमुख थे। इन गीतों में जीवन के हर पहलू को उजागर किया जाता था—चाहे वह खेती-किसानी हो, सामाजिक कुरीतियों पर कटाक्ष हो, प्रेम और विरह की पीड़ा हो, या फिर नारी सम्मान और वीरता की कहानियाँ। पुराने दौर में भोजपुरी गाने लोकसंस्कृति को संजोने का काम करते थे. भिखारी ठाकुर, महेंद्र मिसिर, गोपाल राय, शारदा सिन्हा जैसे लोक कलाकारों ने भोजपुरी संगीत को देश-विदेश तक पहचान दिलाई थी.

अश्लीलता की शुरुआत और उसका बढ़ता प्रभाव
1980 के दशक के बाद जब भारतीय सिनेमा और संगीत में व्यावसायिकरण बढ़ा, तो भोजपुरी सिनेमा और संगीत भी इससे अछूता नहीं रहा। 1990 के बाद भोजपुरी फिल्में अधिक बनने लगीं और इनके साथ-साथ गानों की मांग भी बढ़ी। यही वह दौर था जब भोजपुरी संगीत का स्वरूप धीरे-धीरे बदलने लगा.

2000 के बाद, भोजपुरी संगीत पूरी तरह व्यावसायिक हो गया और इसमें तेजी से अश्लीलता का समावेश हुआ। लोकगीतों की जगह फूहड़, द्विअर्थी और उत्तेजक गानों ने ले ली.
इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण थे
1. फिल्म उद्योग की बदलती मांग – निर्माता और निर्देशक ऐसे गानों को ज्यादा तवज्जो देने लगे, जो तेजी से लोकप्रिय हो सकें. 2. डीजे कल्चर का प्रभाव – 2000 के दशक के बाद से डीजे गानों की लोकप्रियता बढ़ी, जिससे तेज बीट और उत्तेजक बोलों वाले गानों की मांग बढ़ गई. 3. यू-ट्यूब और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उभरना – सोशल मीडिया और डिजिटल म्यूजिक प्लेटफॉर्म पर व्यूज बढ़ाने के लिए गानों को अधिक से अधिक उत्तेजक बनाया जाने लगा. 4. कम लागत में अधिक मुनाफा – अश्लील गाने कम बजट में बनाए जा सकते हैं और आसानी से लोकप्रिय भी हो जाते हैं, जिससे निर्माता ज्यादा मुनाफा कमाते हैं.
भोजपुरी अश्लील गानों का समाज पर असर
- महिलाओं की छवि को नुकसान
भोजपुरी के ज्यादातर अश्लील गानों में महिलाओं को एक वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। गानों में “कमरिया”, “सईया”, “बथता”, “पलंग” जैसे शब्दों का इस्तेमाल आम हो गया है, जिससे स्त्रियों को केवल भोग की वस्तु के रूप में दिखाया जाता है। यह मानसिकता समाज में महिलाओं के प्रति असम्मान और अपराध को बढ़ावा दे सकती है.
- युवा पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव
आजकल के किशोर और युवा इन गानों को बिना किसी रोक-टोक के सुन रहे हैं। इन गानों में इस्तेमाल होने वाली भाषा और संदर्भ उनके मानसिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं। अश्लीलता और अभद्र भाषा को सामान्य समझने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो सामाजिक मूल्यों के लिए घातक है.
- भोजपुरी भाषा की बदनामी
कभी साहित्य और लोकसंस्कृति से जुड़ी भोजपुरी भाषा को अब केवल अश्लीलता से जोड़कर देखा जाने लगा है। कई बार दूसरे राज्यों में भोजपुरी बोलने वालों को नीची दृष्टि से देखा जाता है क्योंकि अश्लील गानों ने इसकी छवि को खराब कर दिया है.
- पारंपरिक संगीत की अनदेखी
शारदा सिन्हा जैसे कलाकार, जिन्होंने दशकों तक भोजपुरी लोकसंगीत को संवारा, आज हाशिए पर चले गए हैं। उनके गीतों की जगह अब अत्यधिक उत्तेजक और भड़काऊ गीतों ने ले ली है। इससे पारंपरिक लोकगीतों और संगीत की पहचान धीरे-धीरे खत्म हो रही है.
भोजपुरी गानों से अश्लीलता को कैसे रोका जाए?
- कड़े सेंसर नियम लागू किए जाएं
सरकार को भोजपुरी संगीत और फिल्मों के लिए एक सख्त सेंसर बोर्ड बनाना चाहिए, जो अश्लील गानों पर रोक लगाए और स्वस्थ कंटेंट को बढ़ावा दे.
- समाज को जागरूक किया जाए
भोजपुरी समाज को खुद आगे आकर अश्लीलता के खिलाफ आवाज उठानी होगी। सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म पर ऐसे गानों का विरोध करने से बदलाव संभव है.
- शुद्ध और संस्कारी गीतों को बढ़ावा दिया जाए
लोकप्रिय गायक और म्यूजिक कंपनियों को ऐसे गाने बनाने पर ध्यान देना चाहिए जो सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक रूप से सही हों। पुराने भोजपुरी लोकगीतों को दोबारा से प्रमोट किया जाना चाहिए.
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कड़ी निगरानी
यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्म पर ऐसे गानों को प्रमोट करने से रोका जाना चाहिए। इसके लिए रिपोर्टिंग सिस्टम को मजबूत करने और नियमों को सख्ती से लागू करने की जरूरत है.
- अच्छे भोजपुरी गायकों को समर्थन मिले
जो कलाकार स्वच्छ और गुणवत्तापूर्ण भोजपुरी गाने बना रहे हैं, उन्हें प्रमोट करने के लिए सरकार और निजी संस्थानों को आगे आना चाहिए.
निष्कर्ष
भोजपुरी संगीत एक समय भारतीय लोकसंस्कृति का अहम हिस्सा था, लेकिन आज यह तेजी से फूहड़ता और अश्लीलता की ओर बढ़ रहा है। यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो भोजपुरी की पहचान हमेशा के लिए नष्ट हो सकती है। हमें मिलकर यह प्रयास करना होगा कि भोजपुरी भाषा और संगीत की गरिमा बनी रहे और आने वाली पीढ़ी को एक स्वच्छ और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर मिले.
अगर भोजपुरी संगीत को दोबारा उसकी पुरानी प्रतिष्ठा दिलानी है, तो हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और इस बदलाव की पहल खुद से करनी होगी। संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समाज को सही दिशा में ले जाने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है।